कुतल रहा है मेरे देश को स्वार्थ का सांया,
आत्मा ने मेरी आज रुदन गीत गाया,
है त्योहार रोशनी का नही जलता अब कही एक भी दिया,
इस महँगाई ने खुशियो पे क़ब्ज़ा कर लिया,
आज बेटी के जन्मदिन पे मे गुड़िया नही ला पाया,
भ्रष्टाचार ने गुड़िया का मन कुचल दिया,
नशे मे धुत्त है मेरे देश का नेता,
आज बcचो के लिए एक प्याला दूध नही ला पाया,
कुतल रहा है मेरे देश को स्वार्थ का सांया,
आत्मा ने मेरी आज रुदन गीत गाया,
- मित्र गढवी
आत्मा ने मेरी आज रुदन गीत गाया,
है त्योहार रोशनी का नही जलता अब कही एक भी दिया,
इस महँगाई ने खुशियो पे क़ब्ज़ा कर लिया,
आज बेटी के जन्मदिन पे मे गुड़िया नही ला पाया,
भ्रष्टाचार ने गुड़िया का मन कुचल दिया,
नशे मे धुत्त है मेरे देश का नेता,
आज बcचो के लिए एक प्याला दूध नही ला पाया,
कुतल रहा है मेरे देश को स्वार्थ का सांया,
आत्मा ने मेरी आज रुदन गीत गाया,
- मित्र गढवी
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