Sunday, 19 February 2012

"અને"...



શું કદી ઍવુ પણ બને...?
તારી અને મારી વચ્ચે રહે નહી "અને"...!
-મિત્ર

तकदीर के मायने...



अजीब से है ये तकदीर के मायने...
अलग है परछाई और अलग है आईने...
दूर है तू मुझसे ये कोई ना जाने...
ख़याल किया इन सबका और हुए हम दोनो अंजाने...

-મિત્ર